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राजस्थान की पर्यावरणीय संस्कृति

Author : Dr. Mohanlal Gupta
Sankalp Prakashan Jaipur
( customer reviews)
695 695
Category:
Book Type: Hard Copy
Size: 270 Pages
Downloads: 3
Language

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प्रकृति का अक्षय कोष पर्यावरण के भीतर सुरक्षित रहता है किंतु यह तभी संभव है जब प्राकृतिक सम्पदाओं का संतुलित उपयोग किया जाये। पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए जीवन को आनंदए उत्साह तथा उमंग से परिपूर्ण बनाने के लिये हमारे पूर्वजों ने एक ठोस किंतु सहज और सरल जीवन शैली विकसित की थी जिसे हम पर्यावरणीय संस्कृति कह सकते हैं। प्रस्तुत ग्रंथ के लेखन का उद्देश्य राजस्थान प्रदेश में विगत हजारों वर्षों से स्थापित परम्पराओंए सिद्धांतों एवं व्यवहार में लाई जाने वाली बातों में से उन महत्त्वपूर्ण तथ्यों को उजागर करना है जिनके द्वारा राजस्थान की संस्कृति ने पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए मानव को आनंददायी जीवन की ओर अग्रसर किया है। यह पुस्तक विश्वविद्यालयों में पर्यावरण के विद्यार्थियों एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले युवाओं के साथ.साथ पर्यावरण एवं संस्कृति विषय में सामान्य रुचि रखने वाले पाठकों के लिये भी उपयोगी है।

डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।




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