ईस्ट इंडिया कम्पनी के आगमन के बाद भारत में किसानों एवं आदिवासियों की दुर्दशा का नया दौर आरम्भ हुआ। अँग्रेजों ने भू-व्यवस्था के सम्बन्ध में जितने भी प्रयोग किये, उन सब में किसानों के हितों की उपेक्षा की गई। ब्रिटिश सरकार ने किसानों को कोई संरक्षण नहीं दिया। न ही कृषि में सुधार करने का प्रयास किया। इस कारण कई स्थानों पर किसान आन्दोलन उठ खड़े हुए। इसी प्रकारजब मैदानी क्षेत्रों के निवासी, आदिवासियों के क्षेत्रों में बसने का प्रयास करते थे या कम्पनी सरकार आदिवासियों को जंगली लकड़ी काटने से रोकने का प्रयास करती थी, या जमींदार लोग आदिवासियों से बलपूर्वक कर वसूलने का प्रयास करते थे, तब आदिवासियों का गुस्सा फूट पड़ता था। अंग्रेज सरकार द्वारा भारत में स्थाई बंदोबस्त लागू करने के बाद स्थानीय जमींदारों एवं राजाओं द्वारा आदिवासी रैयत पर अधिक लगान के लिए दबाव डाला गया। इस कारण कई स्थानों पर आदिवासी विद्रोह पर उतर आये। प्रस्तुत अध्याय में अंग्रेजों के शासन काल में भारत में हुए प्रमुख किसान एवं आदिवासी आंदोलनों का इतिहास लिखा गया है।
डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।