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चित्रकूट का चातक

Author : Dr. Mohanlal Gupta
Shubhda Prakashan, Jodhpur
(1 customer reviews)
350 35
Category:
Book Type: Hard Copy
Size: 296 Pages
Downloads: 2
Language

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अब्दुर्रहीम खानखाना मुगल बादशाह अकबर के प्रधान सेनापति थे। वे सोलहवीं शताब्दी में भारत वर्ष की सर्वप्रमुख प्रतिभाओं में से थे। उन्होंने अकबर के लिए अनेक युद्ध जीते तथा अकबर के मन में जीवों के प्रति दया जगाने का काम किया। हिन्दी, संस्कृत और डिंगल साहित्य में रहीम का योगदान अमूल्य है। अब्दुर्रहीम, भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें एक से अधिक बार दर्शन दिए। मेवाड़ के महाराणाओं तथा रामचरित मानस के प्रणेता गोस्वामी तुलसीदास से उनकी मित्रता थी। जहांगीर और शाहजहां ने रहीम के पुत्र और पौत्रों के सिर कटवाए और थाली में रखकर रहीम को भिजवाए। अब्दुर्रहीम मुगलों की नौकरी छोड़कर चित्रकूट में जा रहे। उनके जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत हुआ। रहीम के जीवन के विविध पक्षों पर आधारित इस उपन्यास को अत्यंत रोचक शैली में लिखा गया है।

डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।




5 Years, 5 Months, 12 Days Ago

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