अभिलेखागारों में पाण्डुलिपियों, चित्रमालाओं, बीजकों, यंत्रों, ताम्रपत्रों, शासकीय आदेशों, संधि-पत्रों, नियुक्ति-पत्रों, बहियों, रोजनामचों, खरीतों, हुण्डियों, पोथियों, रुक्कों, परवानों, चिट्ठियों आदि विविध सामग्री का संग्रहण किया जाता है। अंग्रेजों के समय से देश में विभिन्न सरकारी विभागों, देशी रियासतों, व्यापारिक संस्थानों, राजनीतिक संगठनों आदि ने विभिन्न प्रकार की लिखित सामग्री को संरक्षित करना आरम्भ किया। राजस्थान की स्थापना के बाद इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य हुआ। राजस्थान राज्य अभिलेखागार एवं उसकी शाखाओं में रियासती काल के अभिलेखों को संरक्षित किया गया है। राज्य के प्राच्य विद्या प्रतिष्ठानों में प्राचीन पाण्डुलिपियों, चित्रमालाओं, बीजकों एवं यंत्रों को संगृहीत किया गया है, राजस्थान के ठिकाना अभिलेख विश्व भर में सबसे अनूठे हैं। बहुत से व्यक्तियों एवं परिवारों द्वारा भी प्राचीन एवं मध्यकालीन अभिलेखों का संग्रहण किया गया है। यह सामग्री इतिहास लेखन के लिए अत्यंत उपयोगी होती है। इस कारण इतिहास लेखकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों द्वारा अभिलेखागारों का भ्रमण एवं अवलोकन किया जाता है। भारत के अनेक प्रांतों एवं विश्व के बहुत से देशों के शोधार्थी इन अभिलेखों के अध्ययन के लिए राजस्थान आते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में राजस्थान के प्रमुख अभिलेखागारों में संजोई गई सामग्री का परिचय दिया गया है।
डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।