Books Home / Printed Books/ History Books/ किशनगढ़ राज्य का इतिहास

किशनगढ़ राज्य का इतिहास

Author : Dr. Mohanlal Gupta
Shubhda Prakashan, Jodhpur
( customer reviews)
450 360
Category:
Book Type: Hard Copy
Size: 216 Pages
Downloads: 5
Language

Share On Social Media:


We deliver hard copies only in India right now. To purchase this book you have to login first. Please click here for .

मुगलों ने भारत की अनेक बड़ी रियासतों में सामंती असंतोष को जन्म देकर छोटी-छोटी रियासतों की स्थापना करवाई थी जिनमें किशनगढ़ की बहुत छोटी रियासत भी सम्मिलित थी। इस रियासत के राजा बहुत वीर एवं पराक्रमी सिद्ध हुए। उन्होंने न केवल देश में अपितु देश की सीमाओं से बाहर जाकर भी मुगलों के लिए बहुत सा क्षेत्र जीता। जब किशनगढ़ की मुगलों से ठन गई तब महाराजा रूपसिंह ने औरंगजेब के हाथी पर बंधे हौदे की रस्सियां काट डालीं। कहा जाता है कि एक बार जब राजा रूपसिंह भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में बैठा था, तब भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उसके स्थान पर ड्यूटी करने आए। किशनगढ़ की राजकुमारी चारुमति कृष्णभक्त थी जिसने औरंगजेब से विवाह करने से मना कर दिया। किशनगढ़ का राजा सावंतसिंह कृष्णभक्ति करने के लिए राज्य छोड़कर वृंदावन में जाकर रहने लगा। किशनगढ़ की चित्रकला देश भर में अपने अनूठे लावण्य के लिए प्रसिद्ध हुई। राजा सावंतसिंह की प्रेयसी इस चित्रकला का आधार बनी। किशनगढ़ में वैष्णवों की विश्वप्रसिद्ध सलेमाबाद पीठ की स्थापना हुई। और भी बहुत कुछ पढ़िए किशनगढ़ रियासत के बारे में इस पुस्तक में।

डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।




SIGN IN
Or sign in with
×
Forgot Password
×
SIGN UP
Already a user ?
×