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कैसे बना था पाकिस्तान

Author : Dr. Mohanlal Gupta
Shubhda Prakashan, Jodhpur
( customer reviews)
750 525
Category:
Book Type: Hard Copy
Size: 372 Pages
Downloads: 4
Language

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पुस्तक का नाम - कैसे बना था पाकिस्तान, लेखक - डॉ. मोहनलाल गुप्ता, प्रकाशक - शुभदा प्रकाशन जोधपुर, द्वितीय संस्करण- वर्ष 2020, हार्ड बाण्ड, पृष्ठ - 372, मूल्य- 750 रुपए। पुस्तक के बारे में - ई.1906 में भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना हुई, तब से लेकर ई.1947 तक मुस्लिम लीग पाकिस्तान के लिये झगड़ती रही और उसे लेकर ही रही। ऊपरी तौर से देखने पर पाकिस्तान का निर्माण इन्हीं 41 वर्षों के संघर्ष का परिणाम लगता है किंतु सच्चाई यह है कि पाकिस्तान की नींव तो कई शताब्दियों पहले डाल दी गई थी। गांधीजी ने चाहा कि पाकिस्तान न बने किंतु जिन्ना किसी भी कीमत पर पाकिस्तान बनाना चाहता था। आखिर इस इस झगड़े ने 10 लाख लोगों के प्राण लिए, एक लाख से अधिक महिलाओं पर बलात्कार हुए और लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को अपने घर और खेत छोड़कर भारत से पाकिस्तान अथवा पाकिस्तान से भारत की ओर भागना पड़ा। इस पुस्तक में पाकिस्तान के बीजारोपण से लेकर पाकिस्तान के निर्माण तक एवं उसके बाद की अत्यंत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को लिखा गया है।

डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।




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