छत्रपति शिवाजी भारतवर्ष की आत्मा में बसते हैं। वे विगत साढ़े तीन सै शताब्दियों से राष्ट्र के महानायक हैं। सपनों और कल्पनाओं की रेशमी संरचनाओं से परे, वे गौरवमयी भारतीय इतिहास के कठोर निर्माता हैं। उनके जैसे योद्धा और विजेता, उनके जैसे साम्राज्य निर्माता और प्रजा-वत्सल, उनके जैसे धर्मशील और उदार राजा सम्पूर्ण धरती के इतिहास में बहुत कम देखने के मिलते हैं। निःसंदेह वे चक्रवर्ती सम्राट नहीं थे, न वे मौर्य एवं गुप्त राजाओं के समान सम्पूर्ण भारत पर शासन करते थे किंतु उनका योगदान भारत के समस्त महान राजाओं से कदापि कम नहीं है। उन्होंने शाहजहाँ और औरंगजेब जैसे महाशक्तिशाली मुगल शासकों के काल में दक्षिण-पश्चिम भारत में स्वतंत्र हिन्दू राज्य की स्थापना करके हिन्दू जाति के गौरव को फिर से स्थापित किया। दक्षिण भारत के मुस्लिम राज्यों ने पूरा प्रयास किया कि शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति को कुचल दें, ऐसा करने में वे सक्षम भी थे किंतु शिवाजी के निश्चय ने इतिहास की दिशा पलट दी। उनकी तलवार के जोर पर दक्षिण के शक्तिशाली मुसलमान राज्य शिवाजी के चरणों में आ गिरे। शिवाजी ने भारत के क्षत्रियों की सोई हुई आत्मा को जगाया, भारत की जनता को हिन्दू होने में गर्व का अनुभव करना सिखाया तथा अपनी प्रजा को मुसलमान शासकों के उत्पीड़न से बचाने में स्वयं को होम कर दिया। भारत राष्ट्र और हिन्दू जाति चिरकाल तक उनकी ऋणी रहेगी। इस पुस्तक में उनकी जीवनी, संघर्ष उपलब्धियों को संक्षेप में लिखा गया है।
डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।