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चित्रकूट का चातक पर विशेष छूट
11.04.2018
यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है जो मध्यकालीन योद्धा अब्दुर्रहीम खानखाना पर केन्द्रित है। अब्दुर्रहीमए मुगल बादशाह अकबर के प्रधान सेनापति थे। वे सोलहवीं शताब्दी में भारत वर्ष की सर्वप्रमुख प्रतिभाओं में से थे। उन्होंने अकबर के लिए अनेक युद्ध जीते तथा अकबर के मन में जीवों के प्रति दया जगाने का काम किया। हिन्दीए संस्कृत और डिंगल साहित्य में रहीम का योगदान अमूल्य है। अब्दुर्रहीमए भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें एक से अधिक बार दर्शन दिए। मेवाड़ के महाराणाओं तथा रामचरित मानस के प्रणेता गोस्वामी तुलसीदास से उनकी मित्रता थी। जहांगीर और शाहजहां ने रहीम के पुत्र और पौत्रों के सिर कटवाए और थाली में रखकर रहीम को भिजवाए। अब्दुर्रहीम मुगलों की नौकरी छोड़कर चित्रकूट में जा रहे। उनके जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत हुआ। रहीम के जीवन के विविध पक्षों पर आधारित इस उपन्यास को अत्यंत रोचक शैली में लिखा गया है।
हार्ड बाउण्ड एडीशन, सचित्र, पृष्ठ संख्या 300, मूल्य 300 रुपये।
राजस्थान हिस्ट्री वैबसाईट एवं एप से ऑनलाइन खरीदने पर 20 प्रतिशत छूट तथा पैकिंग एवं डाक व्यय निःशुल्क।