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हिन्दुत्व की छाया में इण्डोनेशिया पर विशेष छूट
07.04.2018
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हिन्दुत्व की छाया में इण्डोनेशिया (जावा एवं बाली द्वीपों के विशेष संदर्भ में)
हिन्द महासागर में दूर-दूर तक छितराए हुए 17,508 द्वीपों वाला देश इण्डोनेशिया, मानव सभ्यताओं के उषा काल में भारत का हिस्सा था। ऋग्वैदिक काल में यहाँ भारतीय आर्य तथा द्रविड़ जातियाँ निवास करती थीं। रामकथा के काल में इण्डोनेशिया के अनेक द्वीप लंका से जुड़े हुए थे। गुप्तकाल के आगमन तक ये द्वीप समुद्र में दूर तक छितराकर ऑस्ट्रेलिया तथा मेडागास्कर तक चले गए जिनमें भारतीय आर्य राजकुमारों के राज्य थे।
पांचवी शताब्दी के प्रारम्भ में चीनी यात्री फाह्यान ने इन द्वीपों के हिन्दुओं को यज्ञ-हवन करते हुए देखा था। पंद्रहवीं शताब्दी में इन द्वीपों में इस्लाम का प्रवेश हुआ और बाली को छोड़कर शेष द्वीपों के हिन्दुओं को मुसलमान बनना पड़ा। सोलहवीं शताब्दी में ये द्वीप हॉलैण्ड के डचों के अधीन हुए और बीसवीं शताब्दी के मध्य में भारत के साथ ही स्वतंत्र हुए।
आज इण्डोनेशिया में 90 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है किंतु बाली द्वीप में 90 प्रतिशत हिन्दू जनसंख्या रहती है। आज के बाली द्वीप में गाय-गंगा, गेहूँ, घी-दूध-छाछ, मूंग-मोठ उपलब्ध नहीं हैं किंतु बाली के हिन्दू राम और रामायण को मजबूती से पकड़े हुए हैं। ये बुराइयों पर अच्छाई की विजय का पर्व गलुंगान मनाते हैं तथा स्वर्ग से आने वाले पितरों का श्राद्ध करते हैं।
बाली के हिन्दुओं में फिर से शाकाहारी बनने का व्यापक आंदोलन चल रहा है। प्रस्तुत ग्रंथ में लेखक ने अपनी ग्यारह दिवसीय यात्रा के अनुभवों के आधार पर बाली एवं जावा द्वीपों के विशेष संदर्भ में, इण्डोनेशिया की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत को संजोया है जो आज भी हिन्दुत्व की छाया में फल-फूल रहा है।
हार्ड बाउण्ड एडीशन, सचित्र, पृष्ठ संख्या 176, मूल्य 350 रुपये।
राजस्थान हिस्ट्री वैबसाईट एवं एप से ऑनलाइन खरीदने पर 20 प्रतिशत छूट तथा पैकिंग एवं डाक व्यय निःशुल्क।