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     07.04.2018
    किशनगढ़ राज्य का इतिहास पर विशेष छूट

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    किशनगढ़ राज्य का इतिहास 

    मुगलों ने भारत की अनेक बड़ी रियासतों में सामंती असंतोष को जन्म देकर छोटी-छोटी रियासतों की स्थापना करवाई थी जिनमें किशनगढ़ की बहुत छोटी रियासत भी सम्मिलित थी। इस रियासत के राजा बहुत वीर एवं पराक्रमी सिद्ध हुए। उन्होंने न केवल देश में अपितु देश की सीमाओं से बाहर जाकर भी मुगलों के लिए बहुत सा क्षेत्र जीता।

    जब किशनगढ़ की मुगलों से ठन गई तब महाराजा रूपसिंह ने औरंगजेब के हाथी पर बंधे हौदे की रस्सियां काट डालीं। कहा जाता है कि एक बार जब राजा रूपसिंह भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में बैठा था, तब भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उसके स्थान पर ड्यूटी करने आए। किशनगढ़ की राजकुमारी चारुमति कृष्णभक्त थी जिसने औरंगजेब से विवाह करने से मना कर दिया।

    किशनगढ़ का राजा सावंतसिंह कृष्णभक्ति करने के लिए राज्य छोड़कर वृंदावन में जाकर रहने लगा। किशनगढ़ की चित्रकला देश भर में अपने अनूठे लावण्य के लिए प्रसिद्ध हुई।

    जा सावंतसिंह की प्रेयसी इस चित्रकला का आधार बनी।

    किशनगढ़ में वैष्णवों की विश्वप्रसिद्ध सलेमाबाद पीठ की स्थापना हुई। और भी बहुत कुछ पढ़िए किशनगढ़ रियासत के बारे में इस पुस्तक में।


    हार्ड बाउण्ड एडीशन, सचित्र, पृष्ठ संख्या 216, मूल्य 450 रुपये।

    राजस्थान हिस्ट्री वैबसाईट एवं एप से ऑनलाइन खरीदने पर 20 प्रतिशत छूट तथा पैकिंग एवं डाक व्यय निःशुल्क।

     


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