अंग्रेजों के राजपूताना रियासतों में आने से लेकर वापस जाने तक अनेक रोचक एवं रोंगटे खड़े कर देने वाली घटनाएं घटित हुईं। इन घटनाओं को लेकर डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने दैनिक नवज्योति में 100 कड़ियों का एक धारावाहिक गोरा हट जा शीर्षक से लिखा था। इस धारावाहिक को राजस्थानी ग्रंथागार जोधपुर ने ब्रिटिश राज में राजपूताने की रोचक घटनाएं शीर्षक से प्रकाशित किया था। शुभदा प्रकाशन द्वारा इन कड़ियों को ई-बुक के रूप में भी उपलब्ध कराया गया है। उसी पुस्तक की कहानियों को हम पाठकों की सुविधा के लिये फिर से गोरा हट जा सीरिज के नाम से प्रकाशित कर रहे हैं। प्रत्येक पुस्तक में गोरा हट जा की एक कड़ी लिखी गई है। ताकि पाठक अपनी रुचि के अनुसार कम मूल्य पर उन कड़ियों को पढ़ सके। यह कड़ी सामंतों की अनुशासनहीनता तथा उसके कारण रियासतों में मची कलह पर आधारित है। जोधपुर के प्रतापी राजा विजयसिंह की पासवान गुलाबराय एक साधारण दासी से ऊपर उठकर लगभग तीस साल तक भारत की तीसरे नम्बर की सबसे बड़ी रियासत पर शासन करती रही। जोधपुर के सामंत इतने उच्छृंखल थे कि उन्होंने महाराजा विजयसिंह के पौत्र भीमसिंह के साथ मिलकर दुर्ग का दरवाजा बंद कर लिया और राजा को बाहर भटकने के लिये छोड़ दिया। उन्होंने गुलाबराय की हत्या कर दी जिसके दुख से पागल होकर राजा कुछ ही दिनों में मर गया।
डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।