कर्नल जेम्स टॉड राजस्थान का पहला इतिहासकार था जिसने इतिहास को मिथकों से बाहर निकालकर सत्य के आलोक में लाने का प्रयास किया। वह सात समंदर पार इंग्लैण्ड से भारत में आया सैनिक अधिकारी था न कि इतिहासकार किंतु राजस्थान की मिट्टी ने उसे इतिहासकार बना दिया। वह राजस्थान से इतना प्रेम करने लगा कि उस पर इंग्लैण्ड के शासकों ने राजपूतों का पक्षधर होने का आरोप लगाया। उसने इन आरोपों की परवाह नहीं की और अपने काम में जुटा रहा। वह घोड़े की पीठ पर बैठकर सैंकड़ों गांवों तक पहुंचा। जब जेम्स टॉड पानी के जहाज पर इंग्लैण्ड के लिये रवाना हुआ तो उसके साथ राजस्थान से एकत्रित किये गये शिलालेखों, ताम्रपत्रों, पाण्डुलिपियों, बहियों, सिक्कों एवं मूर्तियों का एक विशाल खजाना था। इस सामग्री का उपयोग उसने एनल्स एण्ड एण्टिक्विटीज ऑफ राजस्थान नामक ग्रंथ की रचना करने में किया। इस पुस्तक की रचना के लगभग 125 वर्ष बाद राजपूताना का नाम, कर्नल टॉड की पुस्तक के नाम पर राजस्थान रखा गया।
डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।
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