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राजस्थान के अभयारण्य, मृगवन एवं जन्तुआलय

Author : Dr. Mohanlal Gupta
Shubhda Prakashan, Jodhpur
( customer reviews)
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Category:
Book Type: EBook
Size: 2860 kb
Downloads: 107
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राजस्थान के वन्यजीवों के संरक्षण के लिये राज्य में दो राष्ट्रीय पार्क, 25 वन्यजीव अभयारण्य, 32 आखेट निषिद्ध क्षेत्र, छः मृगवन तथा पांच जन्तुआलय स्थापित किये गये हैं। दो अभयारण्य- मरु राष्ट्रीय उद्यान तथा दरा अभयारण्य भी राष्ट्रीय पार्क बनने की प्रक्रिया में हैं। इसके अतिरिक्त जयपुर, जोधपुर, उदयपुर आदि में जैविक उद्यान भी स्थापित किये गये हैं। सीकर के जीणमाता, झुंझुनूं के मनसामाता, जयपुर स्थित ग्रास फार्म नर्सरी और जैसलमेर में मोखला को कन्जर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया है। जोधपुर में खेजड़ली को काला हिरण के लिये संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। इस प्रकार के और भी प्रयास चल रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों, अभयाराण्यों, मृगवनों एवं जन्तुआलयों की संक्षिप्त जानकारी उपलब्ध करवाती है। ये सभी वन्यजीव आवास पर्यटकों के लिये भी उपलब्ध हैं।

डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से लगभग दस दर्जन पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं। डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं। इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है। राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया। प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।




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