1. महाराजा सूरजमल के जन्म की पृष्ठभूमि- जाटों का अधिवास एवं प्रवृत्तियाँ, ब्रज क्षेत्र के जाटों का संघर्ष, मुर्शीद कुली खां का वध, आम्बेर नरेश जयसिंह की नियुक्ति, गोकुला का नेतृत्व, राजाराम का नेतृत्व, सिनसिनी के जाट, चूड़ामन का नेतृत्व, सवाई जयसिंह की नियुक्ति, मोहकमसिंह का नेतृत्व।
2. जाट राज्य की स्थापना राजकुमार सूरजमल का जन्म, डीग, कुम्हेर तथा भरतपुर में नये दुर्गों का निर्माण, पेशवा बाजीराव को जाटों का जवाब, नादिरशाह का आक्रमण।
3. राजकुमार के रूप में सूरजमल के कार्य- चन्दौस युद्ध में फतहअली खां की सहायता, जयपुर नरेश ईश्वरीसिंह की सहायता, सफदरजंग से मित्रता, रूहेलों के विरुद्ध पहला अभियान, मीर बख्शी पर विजय, रूहेलों के विरुद्ध दूसरा अभियान।
4. चरम उत्कर्ष की ओर- दिल्ली की लूट, मराठों से सामना, नजीब खां से संधि, राजा बदनसिंह का निधन।
5. महाराजा सूरजमल को राज्य की प्राप्ति जवाहरसिंह का विद्रोह। ब्रजभूमि पर अहमदशाह अब्दाली का आक्रमण, भरतपुर की ओर, बल्लभगढ़ का विनाश, चौमुहा की लड़ाई, लूट का सामान, भरतपुर की तोपों में वृद्धि, दिल्ली का दुर्भाग्य, दिल्ली और लाहौर पर मराठों का अधिकार, सदाशिव भाऊ से अनबन, मराठों को शरण, मुगलों का पराभव, अब्दाली को अंगूठा, इमादुलमुल्क को शरण, आगरा पर अधिकार, रूहेलों का दमन, ब्रजक्षेत्र के अन्य परगनों पर अधिकार, हरियाणा पर अभियान, सूरज का अवसान।
6. महाराजा सूरजमल का व्यक्तित्व उत्तर भारत की सबसे बड़ी शक्ति, महाराजा सूरजमल का राज्य, सूरजमल की रानियाँ, महाराजा सूरजमल की संतति, कला एवं साहित्य को संरक्षण।