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अणदोखी ने दोख, बीनै गति न मोख।
भावार्थ- निरपराध पर दोष धरने वाले को न स्वर्ग मिलता है न मोक्ष।
असाई म्हे असाई म्हारा सगा, बां कै टोपी न म्हारे झगा।
भावार्थ- निर्धनों के मित्र भी निर्धन ही होते हैं।
अभागियो टाबर त्यूहार नूं रूसै।
भावार्थ- मंदभागी व्यक्ति अवसर का लाभ नहीं उठा सकता।
अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज।
भावार्थ- विवेकहीन शासकों के शासन में अंधकार छा जाता है।
अक्कल बिना ऊँट उभाणा फिरै।
भावार्थ- मूर्ख लोग उपहास का पात्र बन जाते हैं।
अठे किसा काचर खाय है!
भावार्थ- यहाँ तुझे कौनसा सुख है !
अठे गुड़ गीलो कोनी।
भावार्थ- हमें मूर्ख मत समझना।
अठे ही रेवड़ को रिवाड़ो, अठे ही भेडि़यां री घूरी।
भावार्थ- यह स्थान सुरक्षित नहीं है।
अणी चूकी धार मारी।
भावार्थ- सावधानी हटते ही दुर्घटना हो जाती है।
अणमिले का सै जती हैं।
भावार्थ- जब तक बेईमानी का अवसर न मिले, तब तक सब ईमानदार हैं।
अरडावतां ऊंट लदै।
भावार्थ- सामर्थ्यवान, दीनों की पुकार नहीं सुनते।
असी रातां का असा ही तड़का।
भावार्थ- बुरे कामों के बुरे परिणाम होते हैं।
आंख कान को च्यार आंगल को फरक है।
भावार्थ- देखी और सुनी हुई बात में बहुत अंतर होता है।
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