राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजस्थान का मंदिर स्थापत्य
03.01.2022
राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी - 305
राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजस्थान का मंदिर स्थापत्य
1. प्रश्नः राजस्थान में स्थापत्य एवं शिल्प का विकास किनके समय अपने चरम पर पहुँचा?
गुप्तों के समय।
2. प्रश्नः गुप्तकालीन स्थापत्य को किसने नष्ट कर दिया?
हूणों ने।
3. प्रश्नः हूणों के आक्रमण से कौनसे धर्म के मठ राजस्थान से लगभग पूरी तरह नष्ट हो गये?
बौद्धों के मठ।
4.प्रश्नः स्थापत्य के मामले में कौनसे शासक गुप्तों के सच्चे प्रतिनिधि सिद्ध हुए?
प्रतिहार शासक।
5.प्रश्नः प्रतिहार कालीन स्थापत्य कला को क्या कहते हैं?
गुर्जर प्रतिहार शैली अथवा महामारू शैली।
6.प्रश्नःराजस्थान के कौनसे प्रसिद्ध मंदिर हवेली शैली में बने हैं?
नागौर का बंशीवाले का मंदिर, जोधपुर का राज-रणछोड़जी का मंदिर, घनश्यामजी का मंदिर, जयपुर का कनक वृंदावन आदि।
7.प्रश्नः शेखावाटी के कौनसे कस्बे हवेली स्थापत्य के लिये प्रसिद्ध हैं?
रामगढ़, नवलगढ़, फतहपुर, मुकुन्दगढ, मण्डावा, पिलानी, सरदार शहर, रतनगढ़ आदि।
8.प्रश्नः पत्थरों की जालीदार कटाई के लिये कौनसी हवेलियां विश्व प्रसिद्ध हैं?
जैसलमेर की सालमसिंह की हवेली, नथमल की हवेली तथा पटवों की हवेली।
9.प्रश्नः राजस्थान में कितने पुराने मंदिरों के अवशेष प्राप्त होते हैं?
सातवीं शताब्दी से भी पहले के।
10.प्रश्नः राजस्थान का मंदिर वैभव किस अवधि में अपने चरम पर था?
आठवीं से बारहवीं सदी तक।
11.प्रश्नः राजस्थान में सबसे पुराना समयांकित मंदिर कौनसा है?
झालरापाटन में शीतलेश्वर महादेव का है जिसका मूल भाग 689 ई. में बना। यह मंदिर राजस्थान के धुर दक्षिण में स्थित होने के कारण मालवा की परम्परा में आता है।
12.प्रश्नः राजस्थान में गुप्त कालीन मंदिर के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुए हैं?
गुप्तकालीन मंदिर अब नष्ट हो चुके हैं। मण्डोर (जोधपुर) में एक विशाल तोरणद्वार बना हुआ है जो गुप्तकालीन है। ये तोरण द्वार किसी विशाल मंदिर के भाग रहे होंगे।
13.प्रश्नः गुप्त कालीन शिल्प कला पर आधारित मंदिर कहाँ देखे जा सकते हैं?
जालोर जिले के भीनमाल में।
14.प्रश्नः चित्तौड़ का कालिका माता तथा कुंभा स्वामी मंदिर किस काल के हैं?
चित्तौड़ से प्राप्त 7वीं शताब्दी का कालिका माता मंदिर तथा कुंभा स्वामी मंदिर बाप्पा रावल से भी पहले के हैं।
15.प्रश्नः चित्तौड़ का कालिका माता तथा कुंभा स्वामी मंदिर किस शैली के हैं?
इन मंदिरों का इतना जीर्णोद्धार हुआ कि इनका मूल स्वरूप परिवर्तित हो गया है। ये दोनों विशाल मंदिर महामारू शैली के मेदपाट-ऊपर माल शाखा के अंतर्गत आते हैं।
16.प्रश्नः गुर्जर प्रतिहारों का काल कौनसा है? आठवीं से बारहवीं शती तक का।
17.प्रश्नः सांस्कृतिक निर्माण की दृष्टि से राजस्थान का स्वर्ण काल कौनसा है?
आठवीं से बारहवीं शती तक का, प्रतिहार शासकों का काल।
18.प्रश्नः महामारू शैली किसे कहते हैं?
मण्डोर, मेड़ता तथा जालोर के प्रतिहारों के नेतृत्व में जो कला आंदोलन विकसित हुआ वह ‘महामारू’ शैली कहलाता है।
19.प्रश्नः महामारू शैली का विस्तार मरुप्रदेश से निकलकर कहाँ तक हुआ?
आभानेरी (बांदीकुंई) चित्तौड़, बाड़ौली, नाली, उत्तरी मेदपाट तथा उपरमाल पट्टी तक।
20.प्रश्नः महामारू शैली के प्रारंभिक उत्कर्ष काल के कौनसे मंदिर शेष बचे हैं?
लाम्बा, बुचकला, मण्डोर, चित्तौड़, ओसियां व आभानेरी के मंदिर प्रमुख हैं।
21.प्रश्नः गुर्जर प्रतिहारों के काल में किस धर्म के मंदिर बने?
इस काल में शैव, वैष्णव, शाक्त तथा जैन मंदिरों का सैंकड़ों की संख्या में निर्माण हुआ।
22.प्रश्नः ओसियां के प्रतिहार कालीन मंदिर स्थापत्य में किन वास्तु कलाओं का समन्वय हुआ है?
बौद्ध कला, जैनकला तथा गुप्तकला का।
23.प्रश्नः ओसियां के प्राचीन मंदिर किस काल के हैं?
सचियाय माता मंदिर, सूर्यमंदिर, तीनों हरिहर मंदिर, पीपलड़ा माता का मंदिर तथा महावीर मंदिर ई. 750 से 825 ई. तक के काल के हैं। इस काल में इस क्षेत्र पर प्रतिहारों का शासन था।
24.प्रश्नः खजुराहो में मंदिर कला का आधार राजस्थान से विकसित कौनसी शैली है?
प्रतिहार कालीन गुर्जर मारू अथवा महामारू शैली।
25.प्रश्नः प्रतिहार शासकों की राजस्थान को स्थापत्य की अंतिम उत्कृष्ट देन कौनसी है?
राजौरगढ़ तथा पारानगर का स्थापत्य।
26.प्रश्नः चौहानों द्वारा बनवाये गये प्रसिद्ध मंदिर कौनसे हैं?
केकींद, हर्षनाथ, नाडौल आदि।
27.प्रश्नः पूर्वी-दक्षिणी राजस्थान में महामारू शैली पर कौनसी शैलियों का प्रभाव है?
मध्य भारत की शैलियों का।
28.प्रश्नः पूर्वी-दक्षिणी राजस्थान की महामारू शैली पर मध्य-भारत की शैलियों के प्रभाव वाले मुख्य मंदिर कौनसे हैं?
बाड़ौली, रामगढ़, मैनाल, कंसुआ, कवलाजी, केशोरायपाटन।
29.प्रश्नः राजस्थान के उन प्रसिद्ध मंदिरों के नाम बताइये जिन पर गुजराती शैली का प्रभाव है?
925 ई. में निर्मित अंबिका माता मंदिर (जगत), 975 ई. में निर्मित सास-बहू का मंदिर (नागदा), 872 ई. में निर्मित लकुलीश मंदिर (एकलिंगजी) तथा अरथूना, देव सोमनाथ, अहाड़ आदि स्थानों के मंदिरों पर गुजराती शैली का प्रभाव है।
30.प्रश्नः राजस्थान में सबसे पुराना जैन मंदिर कौनसा है?
ओसियां में प्रतिहार राजा वत्सराज द्वारा आठवीं शताब्दी में बनवाया गया महावीरजी का मंदिर राजस्थान में अब तक ज्ञात प्राचीनतम जैन मंदिर है।
31.प्रश्नः प्रतिहार राजा कक्कुक ने नौवीं शताब्दी ईस्वी में कौनसा जैन मंदिर बनवाया?
प्रतिहार राजा कक्कुक ने 861 ई. में जोधपुर के पास घटियाला में जैन अंबिका मंदिर बनवाया।
32.प्रश्नः प्रतिहार काल में अर्थात् 8वी से 12वीं शती में कौनसे प्रसिद्ध जैन मंदिर बने?
महावीर मंदिर- घाणेराव, पार्श्वनाथ मंदिर- सादड़ी, नवलखा पार्श्वनाथ मंदिर- पाली, आदिनाथ मंदिर- नारलाई, नाडोल तथा वर्मन आदि के जैन मंदिर आठवीं से 12वीं शताब्दी के बीच बनवाये गये।
33.प्रश्नः स्थापत्य की दृष्टि से कौनसा जैनमंदिर जैन तक्षणकला की चरम परिणति है?
माउण्ट आबू के देलवाड़ा जैन मंदिर जैन वास्तुकला की चरम परिणति है। ई.1031 में विमलशाह द्वारा निर्मित आदिनाथ का मंदिर देलवाड़ा का प्राथमिक मंदिर है। ई.1230 में वास्तुपाल तेजपाल ने नेमिनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
34.प्रश्नः 12वीं से 16 वीं शताब्दी में राजस्थान में किस प्रकार के मंदिर बने?
इस काल में मुसलमानों के आक्रमण बड़ी संख्या में हो रहे थे इसलिये इस अवधि में दुर्गनुमा मंदिरों का निर्माण हुआ?
35.प्रश्नः प्रश्न - राजस्थान में कौनसे प्रसिद्ध मंदिर दुर्गनुमा मंदिरों की श्रेणी में आते हैं?
उत्तर - कुंभलगढ़ नीलकण्ठ मंदिर, बाणमाता मंदिर, एकलिंगजी मंदिर, कुंभ श्यामजी मंदिर तथा रणकपुर मंदिर सुरक्षात्मक उपायों के साथ बनाये गये हैं। इन मंदिरों के चारों ओर विशाल प्राचीरों, द्वारों तथा बुर्जों का निर्माण किया गया। इन मंदिरों की तक्षण कला में भगवान वाराह द्वारा मेदिनी का उद्धार, मधु-कैटभ वध, पूतना वध, नृसिंह अवतार, महिषासुर मर्दन आदि के दृश्य अंकित किये गये ताकि धर्म की रक्षा हेतु वीरभाव जागृत रहे।
36.प्रश्नः 12वीं से 16 वीं शताब्दी में बने मंदिरों की क्या विशेषता है?
उत्तर - इस काल में वैष्णव धर्मानुयायियों में कृष्णभक्ति का अधिक प्रचलन हुआ। मेवाड़ में महाराणा कुंभा के काल में बड़ी संख्या में मंदिरों का निर्माण हुआ जिनमें कृष्ण लीला सम्बन्धी तक्षण की प्रधानता है। राम मण्डल, कृष्ण-रुक्मणि, माधव, तुलसी आदि की सुंदर मूर्तियों द्वारा वैष्णव धर्म की प्रधानता दिखाई देती है। शिव-पार्वती, ब्रह्मा, मातृका, दिक्पाल आदि का अंकन भी इन मंदिरों में बड़े सुंदर ढंग से किया गया है।
37.प्रश्नः कुंभा के काल में कौनसा प्रसिद्ध वास्तुकार हुआ? वास्तुकार मण्डन।
38.प्रश्नः वास्तुकार मण्डन ने किन ग्रंथों की रचना की? देवमूर्ति प्रकरण, प्रासाद मण्डन, राजवल्लभ, रूपमण्डन, वास्तुमण्डन, वास्तुशास्त्र आदि ग्रंथों की रचना की।
39.प्रश्नः कुंभाकालीन मंदिरों में कौनसे मंदिर प्रमुख हैं?
कुंभास्वामी मंदिर,शंगारचौरी मंदिर, मीरां मंदिर, रणकपुर मंदिर।
40.प्रश्नः कुंभाकाल में निर्मित किस रचना को भारतीय देवी-देवताओं की मूर्तियों का संग्रहालय कहते हैं?
पंद्रहवीं शताब्दी में महाराणा कुंभा द्वारा निर्मित कीर्ति स्तंभ हिंदू देवी देवताओं का विश्व कोष कहा जाता है। पौराणिक देवताओं तथा उनके आयुधों के बारे में जितनी अच्छी जानकारी कीर्ति स्तंभ प्रदान करता है, वह अन्यत्र प्राप्त नहीं होती। देवी देवताओं के साथ-साथ नक्षत्र, वार, मास तथा ऋतुओं तक की मूर्तियां हैं।
41.प्रश्नः औरंगजेब के आतंक के कारण मथुरा-वृंदावन आदि क्षेत्रों से राजस्थान में आई देव प्रतिमाओं के लिये किन प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण हुआ?
राजस्थान आने वाले आचार्र्यों में राधावल्लभ, निम्बार्क तथा पुष्टिमार्ग के आचार्य विशेष उल्लेखनीय हैं। इनके मंदिर सिंहाड़, नाथद्वारा, कांकरोली, चारभुजा, डूंगरपुर, कोटा तथा जयपुर आदि स्थानों में बनाये गये।