Blogs Home / Blogs / राजस्थान ज्ञान कोष प्रश्नोत्तरी लेखक - डॉ. मोहन लाल गुप्ता / राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजस्थान में मूर्तिकला
  • राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजस्थान में मूर्तिकला

     02.01.2022
    राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजस्थान में मूर्तिकला

    राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी - 306

    राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजस्थान में मूर्तिकला

    1.प्रश्न - राजस्थान में प्राप्त प्राचीनतम मूर्तिकला किस सभ्यता की है?

    उत्तर - कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त मूर्तियां राजस्थान की प्राचीनतम मूर्तियां हैं।

    2.प्रश्न - कालीबंगा की मूर्तिकला में कौनसे फलकों का अभाव है?

    उत्तर - मातृका फलकों का अभाव है।

    3.प्रश्न - रेड से प्राप्त मूर्तियों में किस काल की कला के दर्शन होते हैं?

    उत्तर - रेड के उत्खनन से प्राप्त मातृदेवी की मूर्तियों के कमर तथा कंधे के आवरण, गले के हारों तथा कानों के आभूषणों में मौर्यकालीन कला की उच्चता के दर्शन होते हैं। शिव-पार्वती की नृत्य मुद्रा और उनकी वेश-भूषा तथा मिट्टी के खिलौनों की कला उत्कृष्ट कोटि की है।

    4.प्रश्न - वैराठ के उत्खनन से प्राप्त तक्षण सामग्री किस प्रकार की है?

    उत्तर - वैराठ के उत्खनन से प्राप्त तक्षण सामग्री जन साधारण से जुड़ी हुई प्रतीत होती है।

    5.प्रश्न - ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी की शुंगकालीन संस्कृति के दर्शन राजस्थान की किन मूर्तियों में होते हैं?

    उत्तर - इस काल में बुद्ध, महावीर, वासुदेव, विभिन्न जीव-जंतु तथा फूल-पत्ते मंदिरों और स्तूपों की सजावट का विषय बन गये। चित्तौड़ से 8 मील दूर स्थित मध्यमिका से प्राप्त बौद्ध स्तूप तथा नारायण वाटिका की वैष्णव प्रतिमायें उस युग की कला तथा धार्मिक मान्यताओं का प्रमाण हैं।

    6.प्रश्न - रंगमहल (बीकानेर) से प्राप्त मूर्तियों की क्या विशेषता है?

    उत्तर - रंगमहल से प्राप्त पशु एवं वनस्पति आकृतियां, नर-नारी के विभिन्न स्वरूप, उनके विविध परिधान तथा आभूषण, घुंघराले बाल, तनी हुई मूंछें सजीवता तथा स्वाभाविकता के अच्छे उदाहरण हैं। इस काल में बनी भगवान बुद्ध, महावीर, शंकर तथा कृष्ण मूर्तियां भी मिली हैं जो मृण्मयी तथा पत्थरों की हैं।

    7.प्रश्न - गुप्त कालीन मूर्तिकला के दर्शन किन स्थानों से प्राप्त मूर्तियों में होते हैं?

    उत्तर - रंगमहल, भरतपुर, बैराठ, रैढ, कल्याणपुर, डूंगरपुर आदि से शिव, विष्णु, यक्षी आदि की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। इस युग में तोरणद्वार भी निर्मित होने लगे जिन पर पक्षी, लता, सर्प, पशु तथा पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे जाते थे। रंगमहल की दानशीलता, गोवर्धन धारण, पायल से विभूषित नारी का पांव, स्त्री-पुरुष के मस्तक तथा पक्षियों की आकृतियां विशेष रूप से दर्शनीय हैं। कल्याणपुर तथा श्यामलजी से प्राप्त शंकर, विष्णु एवं पारेवा प्रस्तर की मूर्तियां शरीरिक सौंदर्य में अनूठी हैं। भरतपुर की बलदेव की 27 फुट ऊंची मूर्ति इस कला का अद्भुत नमूना है।

    8.प्रश्न - प्रतिहार कालीन देवी-देवताओं की मूर्तियों में क्या विशेषता है?

    उत्तर - प्रतिहार कालीन मूर्तियों में प्राचीन माधुर्य व कोमलता के साथ-साथ उनमें शक्ति, शौर्य तथा आयुध धारण का मिश्रण हुआ है। पौराणिक गाथाओं पर आधारित मूर्तियों द्वारा मनुष्य जाति के शौर्य पक्ष को उभारा गया तथा युगल मूर्तियों द्वारा मानव जीवन के शृगार पक्ष का अंकन किया गया।

    9.प्रश्न - प्रतिहार कालीन मूर्तियों में किस काल की मूर्तिकला का प्रभाव है?

    उत्तर - गुप्त काल की मूर्तिकला का।

    10.प्रश्न - प्रतिहार कालीन मूर्तियां कहाँ से मिली हैं?

    उत्तर - देवी-देवताओं की आभानेरी, अटरू, आबू, नागदा, चित्तौड़, किराडू, ओसियां, नागदा, सीकर आदि से प्राप्त मूर्तियों में गुप्त कालीन कला की परंपरा तथा पूर्व मध्य काल की नवीन पद्धति का मिश्रण देखने को मिलता है। आभानेरी, चांद बावड़ी तथा हर्ष माता मंदिर की मूर्तियों के अवशेष महत्त्वपूर्ण हैं। इन मूर्तियों में नागराज दम्पत्ति की मूर्तियां बड़ी रोचक हैं। दोनों में प्रेम लालसा तथा प्रेम चितवन से पत्नी द्वारा आनाकानी के भाव का बड़ी सफलता पूर्वक उत्कीर्णन किया गया है। अर्धनारीश्वर तथा नृत्य करती हुई मातृकायें दर्शनीय हैं। अटरू के शिव मंदिर के स्तंभों में अंकित पार्वती की मूर्ति दुर्लभ मूर्तियों में एक है।

    11.प्रश्न - कौनसे मंदिर जालियाँ, बेल, बूटे व अन्य ज्यामितीय अलंकरण की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं?

    उत्तर - आबू पर्वत पर देलवाड़ा मंदिरों में बनी मूर्तियाँ, जालियाँ, बेल, बूटे व अन्य ज्यामितीय अलंकरण देखने वाले को आश्चर्य में डाल देते हैं। पूरे मंदिर में एक योजनाबद्ध शिल्प का अंकन किया गया है तथा कोई भी स्थान रिक्त नहीं छोड़ा गया है।

    12.प्रश्न - नारी अंकन एवं प्रेमी युगलों के अंकन के लिये कौनसे प्राचीन मंदिर उल्लेखनीय हैं?

    उत्तर - चम्बल नदी के किनारे बाडोली के शिव मंदिर की उत्कीर्ण पट्टिका पर उत्कीर्ण युगल प्रेमियों का अंकन प्रेम और उल्लास के अद्वितीय उदाहरण हैं। चंद्रावती नदी के ऊपर चंद्रावती मंदिरों के समूह में छतों की शिल्प और नारी प्रतिमा का अंकन देखने योग्य है।

    13.प्रश्न - किराडू के मंदिरों में कौनसे पौराणिक अंकन हुए हैं?

    उत्तर - किराडू के मंदिरों में बंशीधर कृष्ण, शेषशायी विष्णु, अमृत मंथन तथा माता द्वारा शिशु को दुलारने का दृश्य अंकित है।

    14.प्रश्न - सास बहू मंदिर की तक्षण किसलिये उल्लेखनीय है?

    उत्तर -यहाँ उत्कीर्ण हाथी, घोड़े तथा योद्धाओं में शौर्य तथा गति का अंकन विलक्षण है। पक्षी की पुतली सौंदर्य का साक्षात् सागर लिये विराजमान है।

    15. प्रश्न - ओसियां के मंदिरों में नारी का अंकन किस प्रकार किया गया है?

    उत्तर - ओसियां के एक मंदिर में एक आभीर कन्या का अंकन किया गया है। बिना आभूषणों के उत्कीर्णित इस मूर्ति के चेहरे की सरलता और सुकोमलता देखते ही बनती है। एक मंदिर में त्रिविक्रम की मूर्ति पृथ्वी और राहु को दबाती हुई बनायी गयी है। एक वेदिका पर अंकित नारी वृक्ष के नीचे अलस भाव से अंगड़ाई लेती हुई दिखायी गयी है जो अपनी क्षीण कटि और पीन स्तनों से देवताओं को भी वश में करने में समर्थ है।

    16. प्रश्नः अर्थूणा के मंदिरों में कौनसी पौराणिक रचनाओं का अंकन हुआ है?

    उत्तर - अर्थूणा के मंदिरों में देवी-देवताओं, यक्षों, यक्षियों, स्तंभों, अप्सराओं, दिक्पालों, अग्नि, सूर्य, कुबेर, गरुड़ारूढ़ विष्णु, गोवर्धनधारी कृष्ण, अंधक वध, शिव, पशु-पक्षी, लता, वृक्ष तथा वाद्य यंत्रों का सुंदर उत्कीर्णन है। अप्सराएं शृगार, अर्चना क्रीड़ा तथा विलास में व्यस्त हैं।

    17. प्रश्न - अलवर की पारा नग तथा कोटा की रामगढ़ की मूर्तियों में किस काल की कला का प्रभाव है?

    उत्तर - गुप्त कालीन कला का प्रभाव है जिनमें भव्य चेहरों तथा मोटे शरीरों का अंकन किया गया है। रामगढ़ के देवी-देवताओं का अंकन मोटा और स्थूल है।

    18. प्रश्न - समिद्धेश्वर मंदिर किस काल का है?

    उत्तर - 13वीं शताब्दी का।

    19. प्रश्न - समिद्धेश्वर मंदिर के बाहरी स्तरों में कौनसे अंकन किये गये हैं?

    उत्तर - देवी-देवता तथा अप्सराओं की मूर्तियों का अंकन मूर्तिकला की समृद्धि का द्योतक है। प्रयाण करने वाली सेनाओं के आयुध तथा सैन्य उपकरण उस युग की सामाजिक अवस्था को प्रदर्शित करते हैं। एक पट्टिका में उत्कीर्णित बैलगाड़ी गाड़ीवान सहित उत्कीर्ण की गयी है। बैल हांकने वाले की मुद्रा कला की पराकाष्ठा जान पड़ती है।

    20. प्रश्न - किस शताब्दी के बीतने के साथ राजस्थान की मूर्तिकला मानो थककर सो जाती है?

    उत्तर - पंद्रहवीं शताब्दी के बीतते-बीतते राजस्थान की मूर्तिकला मानो थक जाती है और तक्षण कला फूल, बूटों व ज्यामितीय अंकनों में विश्राम करने लगती है।

    21. प्रश्न - किन मंदिरों में राजस्थान की मूर्तिकला एक बार पुनः अपने पूरे ठाठ-बाट के साथ दिखाई देती है?

    उत्तर - 17वीं शताब्दी में राजनगर की नौ चौकियां तथा उदयपुर के जगदीश मंदिर में एक बार पुनः मूर्तिकला अपने ठाठ के साथ खड़ी होती दिखायी देती है।

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