Blogs Home / Blogs / राजस्थान ज्ञान कोष प्रश्नोत्तरी लेखक - डॉ. मोहन लाल गुप्ता / राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजस्थान के प्रसिद्ध मेले
  • राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजस्थान के प्रसिद्ध मेले

     30.12.2021
    राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी  : राजस्थान के प्रसिद्ध मेले

    राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी - 247

    राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजस्थान के प्रसिद्ध मेले

    1.प्रश्न-   पुष्कर मेला

    उतर- अजमेर जिले के पुष्कर नामक प्राचीन कस्बे में हिंदुओं का प्राचीन तीर्थ पुष्कर राज है जिसे तीर्थ राज प्रयाग का गुरु कहा जाता है। यहाँ प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की एकादशी से पूर्णिमा तक ग्रामीण मेले का आयोजन होता है। इस मेले का आरंभ इन तिथियों में सरोवर स्नान के महात्म्य को लेकर हुआ था। माना जाता है कि यह कई हजार वर्ष पुराना मेला है। आजकल इसमें पशु विक्रय, लोक कलाओं का प्रदर्शन तथा विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के कारण इसे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई है।

    2.प्रश्न-   श्रीमहावीरजी मेला

    उतर- सवाईमाधोपुर की हिण्डौन तहसील में चैत्र शुक्ला त्रयोदशी से वैशाख कृष्णा प्रतिपदा तक श्रीमहावीरजी मंदिर में प्रतिवर्ष यह मेला भरता है जिसमें गूजर, मीणा, अहीर तथा चर्मकार आदि जातियों के लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। यह राजस्थान के प्रमुख मेलों में गिना जाता है। इस मंदिर का चढ़ावा चर्मकार जाति के परिवारों को जाता है। मेले में निकाली जाने वाली रथयात्रा में सबसे पहले चर्मकारों से हाथ लगवाये जाने की परंपरा है।

    3.प्रश्न-   कैलादेवी का मेला

    उतर- करौली जिले में जिला मुख्यालय के निकट ही हनुमानजी की माता अंजना देवी का मंदिर है जिसे लोक संस्कृति में कैला मैया कहा जाता है। यहाँ हनुमानजी को लांगुरिया कहा जाता है। यहाँ प्रतिवर्ष चैत्रमास में मेला भरता है। इसे लक्खी मेला भी कहते हैं। इस मेले में पशु विक्रय बड़े पैमाने पर होता है।

    4.प्रश्न-   गौतमेश्वर का मेला

    उतर- सिरोही जिले में पोसालिया नदी के तट पर गौतमेश्वर में प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला एकादश से पूर्णिमा तक यह मेला लगता है। यह मीणा समाज का मेला है जिसमें मीणा समाज अपने कुल देवता गौतमगुआ की पूजा करते हैं। माना जाता है कि गंगा मैया ने गौतमगुआ मीणा को दर्शन दिये। मीणा समाज मृतकों की अस्थियां यहाँ विसर्जित करते हैं। राजस्थान, गुजरात तथा मध्यप्रदेश से भी मीणा समाज के लोग इस मेले में भाग लेने के लिये आते हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर एक कुण्ड जो सदैव रिक्त रहता है किंतु जब मीणा समाज का पुरोहित यहाँ आकर पूजा करता है तो इस कुण्ड में स्वतः ही जल आ जाता है तथा मेला समाप्त होने पर स्वतः ही समाप्त हो जाता है। यहाँ पर बहुत से लोग रंग-बिरंगी पोशाक पहन कर नाचते गाते हैं। इसी नाम से एक मेला प्रतापगढ़ तहसील के अरणोद गाँव में भरता है। इसे आत्मशुद्धि का तीर्थ माना जाता है।

    5.प्रश्न-   घोटिया आंबा मेला

    उतर- यह बांसवाड़ा जिले का सबसे बड़ा मेला है। यह प्रतिवर्ष चैत्र माह की अमावस्या को भरता है जिसमें राजस्थान, गुजरात तथा मध्यप्रदेश आदि प्रांतों से आदिवासी आते हैं। मान्यता है कि पाण्डव अपने अज्ञात वास के समय कुछ दिन यहाँ भी रहे थे। उन्होंने भगवान कृष्ण की सहायता से 88 हजार ऋषियों को केले के पत्ते पर चावल तथा आमरस का भोजन करवाया। यहाँ आज भी पुष्प विहीन केलों के वृक्ष तथा चावलों के पौधे पाये जाते है।

    6.प्रश्न-   रानी सती का मेला

    उतर- झुंझुनूं में रानी सती के प्रसिद्ध मंदिर में प्रतिवर्ष भाद्रपद मास में मेला भरता है। 1988 के बाद से सती निषेध कानून के तहत इस पर रोक लगा दी गयी है।

    7.प्रश्न-   रामदेवजी का मेला

    उतर- जैसलमेर जिले के रामदेवरा (रूणेचा) गाँव में प्रतिवर्ष भाद्रपद माह में लोकदेवता रामदेवजी का मेला भरता है। इसमें राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश तथा उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से श्रद्धालु बोलना के लिये आते हैं। अब इस मेले में भी पशु विक्रय बड़ी संख्या में होता है।

    8.प्रश्न-   रणथंभौर का गणेश मेला

    उतर- सवाई माधोपुर जिले में रणथंभौर दुर्ग में गणेशजी के सुविख्यात मंदिर में प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी को विशाल मेला भरता है। इस मेले में देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं।

    9.प्रश्न-   खाटू श्यामजी का मेला

    उतर- सीकर जिले के खाटू श्यामजी नामक गाँव में प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की एकादशी को मेले का आयोजन होता है। इसमें राज्य के बाहर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

    10. प्रश्न-   केसरियानाथ का मेला

    उतर- उदयपुर जिले के ऋषभदेव गाँव में प्रति वर्ष चैत्र वदी अष्टमी को विशाल मेले का आयोजन होता है जिसमें हजारों की संख्या में आदिवासी भाग लेते हैं।

    11.प्रश्न-   तिलवाड़ा का मेला

    उतर- बाड़मेर जिले के तिलवाड़ा नामक स्थान पर प्रति वर्ष विशाल पशु मेले का आयोजन प्रतिवर्ष चैत्रमास में किया जाता है।

    12.प्रश्न-   गोगामेड़ी का मेला

    उतर- हनुमानगढ़ जिले में गोगामेड़ी नामक स्थान पर प्रतिवर्ष भाद्रपद माह में विशाल मेले का आयोजन होता है जिसमें राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा पंजाब राज्यों के श्रद्धालु आते हैं।

    13. प्रश्न-   चारभुजा का मेला

    उतर- राजसमंद जिले के गढ़बोर नामक स्थान पर भगवान कृष्ण का विख्यात मंदिर है जिसे श्री चारभुजा नाथ मंदिर भी कहते हैं। यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद मास में मेला भरता है।

    14.प्रश्न-   जीणमाता मेला

    उतर- सीकर जिले के रेवासा गाँव में ग्यारहवीं सदी का जीणमाता मंदिर स्थित है जहाँ जीणमाता की अष्ट भुजा मूर्ति स्थापित है। यहाँ प्रतिवर्ष चैत्र एवं आश्विन माह की नवरात्रियों में मेले भरते हैं। इस अवसर पर श्रद्धालु लोग अपने बच्चों का मुण्डन करवाने, जात देने तथा मनौती मानने के लिये आते हैं।

    15.प्रश्न-   जंभेश्वरजी का मेला

    उतर- बीकानेर जिले के नोखा कस्बे में फाल्गुन माह व आसोज माह में विश्नोईयों के धर्मगुरु जंभेश्वरजी (जांभोजी) के मेले लगते हैं। इस मेले में विश्नोई संप्रदाय के लोग भाग लेते हैं।

    16. प्रश्न-   करणीमाता मेला

    उतर- बीकानेर जिले के देशनोक कस्बे में प्रतिवर्ष चैत्र माह के नवरात्रों में करणीमाता का मेला भरता है।

    17. प्रश्न-   कपिल मुनि का मेला

    उतर- बीकानेर जिले में कोलायत नामक स्थान पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का मेला भरता है। इस अवसर पर श्रद्धालु कोलायत में स्थित झील में स्नान करना बहुत ही पुण्य का काम मानते हैं।

    18. प्रश्न-   बेणेश्वर मेला

    उतर- डूंगरपुर जिले में बेणेश्वर नामक स्थान पर प्रतिवर्ष माघ मास में आदिवासियों का सबसे बड़ा मेला लगता है। इसमें लाखों आदिवासी परंपरागत रूप से भाग लेते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये जाते हैं।

    19. प्रश्न-   सील डूंगरी का मेला

    उतर- जयपुर के चाकसू के निकट चैत्र माह में सील डूंगरी का मेला शीतला सप्तमी के दिन भरता है। इस दिन शीतला माता का पूजन किया जाता है। मंदिर का चढ़ावा कुम्हारों को जाता है।

    20. प्रश्न-   भृतहरि का मेला

    उतर- अलवर में सरिस्का अभयारण्य के निकट योगीराज भृतहरि का स्थान है। यहाँ वर्ष में दो बार लक्खी मेला भरता है। वर्षा ऋतु में भाद्रपद माह में भरने वाले मेले में राजस्थान के साथ-साथ कई पड़ौसी राज्यों के श्रद्धालु भी भाग लेते हैं।

    21.प्रश्न-   डिग्गी का मेला

    उतर- जयपुर से लगभग 75 किलोमीटर दूर स्थित डिग्गी नामक स्थान पर कल्याणजी का मेला प्रतिवर्ष श्रावण माह की अमावस्या को भरता है। इस मेले में भी राजस्थान के साथ-साथ कई पड़ौसी राज्यों के श्रद्धालु भाग लेते हैं।

    22.प्रश्न-   तेजाजी का मेला

    उतर- नागौर जिले के परबतसर नामक स्थान पर भाद्रपद कृष्णा दशम् से भाद्रपद शुक्ला एकादशम् तक तेजाजी का मेला भरता है। इस मेले में लोक देवता तेजाजी के गीत गाये जाते हैं तथा विभिन्न नस्लों के पशुओं का विक्रय होता है।

    23.प्रश्न-   शिवाड़ का मेला

    उतर- सवाई माधोपुर जिले में ईसरदा से तीन किलोमीटर दूर स्थित शिवाड़ मंदिर में स्थापित शिवलिंग को बारहवें ज्योर्तिलिंग की मान्यता प्राप्त है। इन्हें घुश्मेश्वर कहा जाता है। यहाँ स्थित सरोवर के जल को गंगाजल के समान पवित्र माना जाता है। यहाँ भी प्रतिवर्ष मेला भरता है।

    24.प्रश्न-   माताकुण्डलिनी का मेला

    उतर- चित्तौड़गढ़ जिले के राशमी में कुण्डलिनी माता के मंदिर में कार्तिक माह में मेला भरता है जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं।

    25.प्रश्न-   पार्श्वनाथ मेला

    उतर- नागौर जिले के मेड़ता रोड रेलवे स्टेशन के निकट फलौदी गाँव में प्रति वर्ष पार्श्वनाथ का मेला भरता है। यह मेला अत्यंत प्राचीन है तथा पश्चिमी राजस्थान एवं मध्य राजस्थान से बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु एवं हिन्दू मतावलम्बी इस मेले में सम्मिलित होते हैं।

    26.प्रश्न-   मरु महोत्सव

    उतर- जैसलमेर जिला मुख्यालय पर राजस्थान पर्यटन विभाग की ओर से प्रतिवर्ष मरु महोत्सव का आयोजन होता है। इसमें विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।

    27.प्रश्न-   बादशाह का मेला

    उतर- अजमेर जिले के ब्यावर कस्बे में प्रतिवर्ष धुलण्डी के दूसरे दिन बादशाह का मेला भरता है। इस मेले में बादशाह की सवारी निकाली जाती है।

    28.प्रश्न-   डोलमेला

    उतर- भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बारां के डोल तालाब के किनारे डोलमेला आयोजित होता है। माना जाता है कि डोल तालाब 12 तालाबों को पाटकर बनाया गया।

    29. प्रश्न-   ख्वाजा का उर्स

    उतर- अजमेर स्थित ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सालाना उर्स का आयोजन होता है जिसमें देश-विदेश के मुस्लिम धर्मावलंबी भाग लेते हैं जिन्हें जायरीन कहा जाता है। इस उर्स का सबसे बड़ा आकर्षण कव्वालों द्वारा अपनी प्रस्तुतियां देना है।

    30. प्रश्न-   गलियाकोट का उर्स

    उतर- डूंगरपुर जिले के गलियाकोट नामक स्थान पर दाऊदी बोहरों द्वारा सय्यद फखरुद्दीन की मजार पर सालाना उर्स आयोजित किया जाता है।

    31. प्रश्न-   सूफी तारेकीन का उर्स

    उतर- नागौर जिला मुख्यालय पर जामादि अव्वल को सालाना उर्स का आयोजन होता है।


  • Share On Social Media:
Categories
SIGN IN
Or sign in with
×
Forgot Password
×
SIGN UP
Already a user ?
×