राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजपूत चित्रकला की विभिन्न शैलियाँ
30.12.2021
राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी - 249
राजस्थान ज्ञानकोश प्रश्नोत्तरी : राजपूत चित्रकला की विभिन्न शैलियाँ मेवाड़ शैली
1.प्रश्न- मेवाड़ शैली का दूसरा नाम क्या है?
उतर- उदयपुर शैली।
2.प्रश्न- मेवाड़ शैली की विशेषताएं क्या हैं?
उतर- गरुड़, नासिका, परवल की खड़ी फांक जैसे नेत्र, घुमावदार एवं लम्बी अंगुलियां, लाल-पीले रंग की प्रचुरता, छोटी ठोड़ी, अलंकारों की प्रधानता आदि इस शैली की विशेषतायें हैं।
3.प्रश्न- मेवाड़ शैली का प्रथम चित्रित ग्रंथ कौनसा है?
उतर- ई.1260 का श्रावक प्रतिक्रमण चूर्णि नामक चित्रित ग्रंथ मेवाड़ शैली का प्रथम उदाहरण है। यह ग्रंथ ताड़पत्रों से बनाया गया है। इसके चित्र नागदा के सास-बहू मंदिर तथा चित्तौड़ के मोकल मंदिर की तक्षण कला जैसे हैं।
4.प्रश्न- मेवाड़ शैली में किन बिम्बों का अंकन प्रमुखता से किया गया है?
उतर- कदम्ब के वृक्ष एवं हाथियों का।
5. प्रश्न- मेवाड़ की चित्रकला का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है?
उतर- महाराणा अमरसिंह प्रथम के काल को।
6. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रमुख चित्र कौनसे हैं?
उतर- चावण्ड में ई.1605 में चित्रित भेंट, रसिक प्रिया, उदयपुर में ई.1648 में चित्रित रामायण तथा आर्ष रामायण, ई.1741 में चित्रित गीत गोविंद तथा ई.1719 में चित्रित बिहारी सतसई। मेवाड़ शैली में चित्रित रागमाला, बारहमासा, पंचतंत्र तथा रसमंजरी भी उल्लेखनीय हैं।
7.प्रश्न- उदयपुर राज्य के किस कारखाने में कलाकार चित्र और लघुचित्र बनाते थे?
उतर- सूरतखाना। नाथद्वारा शैली
8.प्रश्न- नाथद्वारा शैली का विकास किन दो शैलियों के मिश्रण से हुआ?
उतर- ई.1670 में श्रीनाथजी के विग्रह के साथ ब्रज की चित्रण परंपरा मेवाड़ में आयी तथा उदयपुर शैली एवं ब्रज शैली के मिश्रण से नाथद्वारा शैली का विकास हुआ।
9. प्रश्न- नाथद्वारा शैली की क्या विशेषताएं हैं?
उतर- इस शैली में आंखें हिरण के समान बनाई जाती हैं। गायों का अधिक अंकन किया जाता है। यमुना के तट, अन्नकूट, जन्माष्टमी उत्सव आदि का अंकन भी इस चित्र शैली की प्रमुख विशेषता है। इस शैली के चित्रों में हरे एवं पीले रंग का अधिक प्रयोग किया जाता है। मेवाड़ की लघु चित्र शैली
10. प्रश्न- मेवाड़ की लघु चित्र शैली का विकास किस काल में हुआ?
उतर- महाराणा जगतसिंह प्रथम (ई.1628 से 1652) के काल में चित्रकला का खूब विकास हुआ।
11.प्रश्न- मेवाड़ की लघु चित्र शैली की क्या विशेषता है?
उतर- मेवाड़ के राणा शैव मत के उपासक थे किंतु इस काल में वल्लभ संप्रदाय के प्रसार के कारण श्रीकृष्ण के जीवन से संबंधित चित्रों का निर्माण अधिक हुआ।
12.प्रश्न- मेवाड़ की लघु चित्र शैली में चित्रित प्रमुख ग्रंथ कौनसे हैं?
उतर- इस काल में रागमाला (ई.1628), रसिकप्रिया (ई.1628-30), गीतगोविंद (ई.1629), भगवद् पुराण (ई.1648) एवं रामायण (ई.1649) आदि विषयों पर लघु चित्रों का निर्माण हुआ। देवगढ़ उपशैली
13. प्रश्न- देवगढ़ उपशैली का विकास किसके द्वारा हुआ?
उतर- देवगढ़ के रावत द्वारकादास चूण्डावत द्वारा।
14.प्रश्न- देवगढ़ उपशैली की क्या विशेषताएं हैं?
उतर- मोटी एवं सधी हुई रेखाएं, पीले रंगों का बाहुल्य, मारवाड़ के अनुकूल स्त्री-पुरुषों की आकृतियां, शिकार, गोठ आदि से सम्बन्धित चित्र इसकी विशेषता है। मरुप्रदेश की चित्रकला
15. प्रश्न- 16वीं शताब्दी के तिब्बती इतिहासकार तारानाथ ने मरुप्रदेश में 7वीं शताब्दी के किस चित्रकार का उल्लेख किया है?
उतर- श्रीरंगधर का।
16.प्रश्न- ई.1422-23 में लिखित सुपार्श्वनाथ चरितम् के चित्रों में किस शैली के दर्शन होते हैं?
उतर- जैन एवं गुजराती शैली का प्रभाव दृष्टिगत होता है।
17. प्रश्न- राजस्थान के प्रारम्भिक चित्रण को किस ग्रंथ में देखा जा सकता है?
उतर- ई.1450 के लगभग गीत गोविंद तथा बालगोपाल स्तुति की एक-एक प्रति मिली है जिनमें राजस्थान का प्रारंभिक चित्रण को देखा जा सकता है।
18.प्रश्न- मारवाड़ चित्रकला अथवा मरुप्रदेश की चित्रकला में कौनसी शैलियां आती हैं?
19. प्रश्न- राजा मालदेव (ई.1532 से 1568) के समय का जोधपुर शैली का कौनसा ग्रंथ बड़े महत्व का है?
उतर- उत्तराध्ययन सूत्र, यह अब बड़ौदा संग्रहालय में रखा है। मारवाड़ शैली
20. प्रश्न- मारवाड़ शैली के सत्रहवीं शताब्दी के कौनसे चित्रित ग्रंथ अधिक महत्वपूर्ण हैं?
उतर- ई.1623 की पाली रागमाला चित्रावली, 17वीं शताब्दी की ही जोधपुर शैली की सूरसागर के पदों पर आधारित चित्रावली तथा रसिकप्रिया। इन चित्रों में रंगों की चटकता और वस्त्राभूषण आदि का चित्रांकन महत्त्वपूर्ण है।
21. प्रश्न- जोधपुर दुर्ग में चौखेलाव महल के भित्ति चित्र किस राजा के समय में बने थे?
उतर- राजा मालदेव के समय मे। ये मार्शल टाइप के हैं।
22. प्रश्न- राजा सूरसिंह के समय के कौनसे चित्र उल्लेखनीय हैं?
उतर- अनेक लघुचित्र, ढोला मारू तथा भागवत आदि।
23. प्रश्न- उन्नीसवीं सदी में मारवाड़ की चित्रकला किस सम्प्रदाय से प्रभावित रही?
उतर- नाथ सम्प्रदाय से।
24. प्रश्न- नाथ संप्रदाय के मठों के चित्र किस राजा के समय बने?
उतर- राजा मानसिंह के समय में।
25. प्रश्न- मारवाड़ शैली की क्या विशेषताएं हैं?
उतर- इस शैली के पुरुष लम्बे-चौड़े, गठीले बदन के तथा गलमुच्छों, ऊंची पगड़ी और राजसी वैभव वाले वस्त्राभूषणों से युक्त हैं। स्त्रियों की वेशभूषा में ठेठ राजस्थानी लहंगा, ओढ़नी, लाल फूंदने आदि का प्रयोग प्रमुख रूप से हुआ है। जोधपुर शैली में भी पीले रंग का अधिक प्रयोग हुआ है। इस शैली के चित्रों में आम के पेड़, कौवा एवं घोड़ा अधिक देखने को मिलते हैं। राम रावण युद्ध, कौंधती बिजली, मरुस्थल के दृश्य, लोक देवताओं के चित्र, दुर्गा सप्तशती का चित्रण भी इस शैली की विशेषतायें हैं। बीकानेर शैली
26. प्रश्न- बीकानेर शैली में किस शैली के प्रभाव के कारण नारी अंकन में तन्वंगी देह चित्रित की गयी है?
उतर- मुगल शैली के प्रभाव के कारण।
27.प्रश्न- बीकानेर शैली के चित्रों में कौनसे रंगों का अधिक प्रयोग किया गया है?
उतर- हरे, लाल, बैंगनी, जामुनी तथा सलैटी रंगों का। पीले रंग को भी प्रमुखता दी गई है।
28. प्रश्न- बीकानेर शैली की क्या विशेषताएं हैं?
उतर- शाहजहाँ और औरंगजेब शैली की पगड़ियों के साथ ऊंची मारवाड़ी पगड़ियां, ऊंट, हिरण आदि पशुओं और कौवा तथा चील आदि पक्षियों के साथ राजपूती जीवन शैली की छाप दिखायी देती है।
29. प्रश्न- ऊँट की खाल पर चित्रों का अंकन किस शैली में हुआ?
उतर- बीकानेर शैली में।
30. प्रश्न- बीकानेर के मंदिरों में किस जाति के चित्रकारों ने विशाल संख्या में भित्ति चित्रों का निर्माण किया?
उतर- मथेरण, उस्ता एवं चूनगर जाति के चित्रकारों ने। नागौर उपशैली
31. प्रश्न- मारवाड़ चित्रकला शैली की नागौर उपशैली की क्या विशेषताएं हैं?
उतर- नागौर उपशैली में पारदर्शी वेशभूषा एवं बुझे हुए रंगों का प्रयोग अधिक किया गया है।
32. प्रश्न- नागौर उपशैली के भित्ति चित्र कहाँ उपलब्ध हैं?
उतर- नागौर दुर्ग में काष्ठ के दरवाजों एवं किले के भित्ति चित्र तथा घाणेराव के ठिकाने में बने अनेक लघुचित्र। जैसलमेर शैली
33. प्रश्न- जैसलमेरी शैली की क्या विशेषताएं हैं?
उतर- इस शैली में दाढ़ी मूंछों की मुखाकृति प्रमुखता से बनाई जाती है। चेहरे पर ओज एवं वीरत्व की प्रधानता होती है।
34.प्रश्न- जैसलमेरी शैली का प्रमुख चित्र कौनसा है?
उतर- मूमल। किशनगढ़ शैली की चित्रकला
35. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की क्या विशेषताएं हैं?
उतर- राधा कृष्ण की लीलायें, बणी-ठणी, रंग-बिरंगे उपवन आदि की बहुलता है। तारों एवं चंद्रमा से युक्त रातों का अंकन खूबसूरती से किया गया है। दूर-दूर तक फैली झीलों में जल क्रीड़ा करते हंस, बत्तख, सारस, नौकायें, केले के गाछ तथा रंग-बिरंगे उपवन किशनगढ़ शैली को दूसरी शैलियों से अलग करते हैं।
36.प्रश्न- किशनगढ़ शैली में पुरुषों का अंकन किस प्रकार किया गया है?
उतर- पुरुष लम्बे, इकहरे, नील छवि वाले, समुन्नत ललाट, कर्णांत तक खिंचे अरुणाभ नयन, मोती जड़ित श्वेत या मूंगिया पगड़ी वाले चित्रित किये गये हैं।
37.प्रश्न- किशनगढ़ शैली में नारियों का अंकन किस प्रकार किया गया है?
उतर- नारियां तन्वंगी, लम्बी, गौरवर्णा, नुकीली चिबुक, सुराहीदार गर्दन, क्षीणकटि, लम्बी कमल पांखुरी सी आँखों वाली चित्रित हैं।
38. प्रश्न- किशनगढ़ की चित्रकला को चरम पर पहुंचाने का श्रेय किसे है?
उतर- राजा सावंतसिंह (ई.1699-1764) को, जो नागरीदास के नाम से प्रसिद्ध हुए।
39.प्रश्न- निहालचंद किस चित्रशैली के कलाकार थे?
उतर- किशनगढ़ शैली के।
40.प्रश्न- किशनगढ़ शैली में बणी-ठणी का क्या महत्व है?
उतर- नागरीदास की प्रेयसी का नाम बणी-ठणी था। उसके प्रति राजा नागरीदास का आत्मनिवेदन काव्यधारा के रूप में प्रस्फुटित हुआ। जिसने चित्रकारों को विषय-वस्तु, कल्पना तथा सौंदर्य का विशाल आकाश प्रदान किया। भारत सरकार ने 5 मई 1973 को बणी-ठणी पर एक डाक टिकट जारी किया। इस चित्र को ई.1778 में किशनगढ़ के चित्रकार निहालचंद ने बनाया था। इस चित्र को मोनालिसा के समकक्ष रखा जाता है।
41.प्रश्न- बणी-ठणी के चित्र की क्या विशेषता है?
उतर- बणी-ठणी के हाथ में कमल पुष्प, पतले अधर, उठी हुई नाक, काली आँखें, लम्बी भुजायें, उन्नत कंधे, झीने वस्त्रों से झांकती कमर तक लटकने वाली सघन केश राशि एवं लघु पयोधर देखते ही बनते हैं। हाड़ौती की चित्रकला
42. प्रश्न- पशु-पक्षियों को महत्त्व देने वाले स्कूल ऑफ पेंटिंग का क्या नाम है?
उतर- बूंदी चित्र शैली।
43.प्रश्न- वर्षा में नाचते हुए मोर, वृक्षों पर कूदते बंदर और जंगल में विचरण करते हुए सिंह सर्वाधिक किस शैली के चित्रों में अंकित किये गये हैं?
उतर- बूंदी चित्र शैली।
44. प्रश्न- बूंदी शैली में मानव आकृतियों का अंकन किन विशेषताओं से युक्त है?
उतर- आकृतियां लम्बी, शरीर पतले, स्त्रियों के अधर अरुण, मुख गोल, चिबुक पीछे की ओर झुकी तथा छोटी होती है।
45. प्रश्न- बूंदी शैली में प्रकृति तथा स्थापत्य के चित्रांकन में किन रंगों का अधिक प्रयोग किया गया है?
उतर- श्वेत, गुलाबी, लाल, हरे। बूंदी शैली में सुनहरी रंग का प्रयोग अधिक हुआ है।
46.प्रश्न- खजूर के पेड़, बतख एवं हिरण का अंकन बहुतायत से किस शैली में किया गया है?
उतर- बूंदी चित्र शैली मे।
47.प्रश्न- बूंदी चित्र शैली में कौनसे चित्र प्रमुखता से बनाये गये?
उतर- राग-रागिनी, नायिका भेद, ऋतु वर्णन, बारहमासा, कृष्णलीला, दरबार, हस्तियुद्ध, उत्सव आदि का अंकन आदि।
48. प्रश्न- स्पष्ट करें- चित्रशाला।
उतर- महाराव उम्मेदसिंह के शासन काल में निर्मित चित्रशाला (रंगीन चित्र) बूंदी चित्र शैली का श्रेष्ठ उदाहरण है। कोटा शैली
49. प्रश्न- कोटा उपशैली का विकास किस चित्रशैली से हुआ?
उतर- बूंदी शैली से।
50.प्रश्न- कोटा शैली की क्या विशेषताएं हैं?
उतर- कोटा शैली में शिकार का बहुरंगी तथा वैविध्यपूर्ण चित्रण हुआ है। इस शैली में नीला रंग, खजूर के वृक्ष, बतख एवं शेर आदि का अंकन प्रमुखता से किया गया है।
51.प्रश्न- झालावाड़ के राजमहलों में कौनसे चित्र दर्शनीय हैं?
उतर- श्रीनाथजी, राधा-कृष्ण लीला, रामलीला तथा राजसी वैभव के चित्र।
52.प्रश्न- प्राचीनतम गुहा चित्र किस क्षेत्र में पाये गये हैं?
उतर- हाड़ौती क्षेत्र में।
53.प्रश्न- भित्ति चित्रों की दृष्टि से कौनसा क्षेत्र सबसे सम्पन्न है?
उतर- कोटा।
54.प्रश्न- कोटा के भित्ति चित्रों में दक्षिण भारत की कौनसी शैली के चित्र बने हुए हैं?
उतर- तंजौर शैली के अनेक चित्र कोटा के भवनों में चित्रित हैं। ढूंढाड़ की चित्रकला
55. प्रश्न- ढूंढाड़ चित्रकला में कौनसी चित्रकला शैलियां आती हैं?
उतर- आमेर, जयपुर, अलवर, शेखावाटी, उणियारा, करौली आदि। झिलाय ठिकाणा भी ढूंढाड़ी चित्रकला के अंतर्गत आता है।
56. प्रश्न- जयपुर शैली की क्या विशेषता है?
उतर- जयपुर शैली में हरे रंग के प्रयोग, पीपल एवं वट के वृक्ष, मोर एवं अश्व का अधिक चित्रांकन किया गया है।
57. प्रश्न- जयपुर चित्रकला शैली पर कौनसी संस्कृतियों का प्रभाव है?
उतर- मुगलों एवं ब्रज क्षेत्र की संस्कृति का। आमेर की छतरियों, बैराठ के मुगल गार्डन, मौजमाबाद के निजी चित्रों में मुगल प्रभाव हावी है। राजा जयसिंह के समय के चित्रों में रीतिकालीन प्रभाव स्पष्ट दिखायी देता है।
58.प्रश्न- माधोसिंह प्रथम के काल में कलात्मक भित्ति चित्रण कहाँ हुआ?
गलता के मंदिरों, सीसोदिया रानी के महल, चंद्रमहल तथा उतर- पुण्डरीक की हवेली में।
59. प्रश्न- जयपुर चित्रकला शैली में किन चित्रों की परम्परा आरम्भ हुई?
उतर- आदम कद चित्रों की परंपरा।
60. प्रश्न- सवाई प्रतापसिंह के काल में किस तरह के चित्र बने?
उतर- राधाकृष्ण की लीलायें, नायिका भेद, राग-रागिनी, बारहमासा आदि का चित्रण प्रमुख रूप से हुआ। अलवर शैली
61.प्रश्न- अलवर शैली में किस चित्रकला शैली की सभी विशेषताएं मिलती हैं?
उतर- जयपुर शैली की।
62. प्रश्न- अलवर शैली का विकास कैसे हुआ?
उतर- जयपुर शैली और दिल्ली शैली के मिश्रण से अलवर शैली बनी।
63. प्रश्न- अलवर शैली की क्या विशेषताएं हैं?
उतर- हरे रंग के प्रयोग, पीपल एवं वट के वृक्ष, मोर एवं अश्व का अधिक चित्रांकन किया गया है।
64. प्रश्न- चित्रकला की किस शैली में वेश्याओं के जीवन का खूबसूरती से अंकन किया गया है?