जोधपुर नरेश जसवंतसिंह द्वितीय (ई.1873-1895) ने फैजुल्लाखां को अपना दीवान नियुक्त किया। फैजुल्लाखां राजा को प्रसन्न करने के लिये नवाब रामपुर से भगतन जाति की अद्वितीय सौंदर्य
ईस्वी 1883 में आर्य समाज के संस्थापक ऋषिवर दयानन्द सरस्वती जोधपुर राज्य के प्रधानमंत्री सर प्रतापसिंह के निमंत्रण पर जोधपुर आये। राजा जसवंतसिंह ने ऋषि का भव्य स्वागत कि
जोधपुर राज्य के इतिहास में सर प्रतापसिंह महत्वपूर्ण व्यक्ति हुआ है। वह राजा तखतसिंह की रानी राणावतजी का दूसरा पुत्र था। पहला पुत्र जसवन्तसिंह था जो तखतसिंह के बाद जोध
ई.1880 में जयपुर नरेश रामसिंह की मृत्यु हो गयी। उसके कोई पुत्र नहीं था इसलिये उसने ईसरदा ठिकाने के ठाकुर रघुनाथसिंह के द्वितीय पुत्र माधोसिंह को गोद लिया था। अंग्रेजो ने
1857 के विद्रोह में देशी राज्यों के जागीरदारों ने अंग्रेजों के विरुद्ध प्रमुख भूमिका निभायी थी इसलिये अंग्र्रेज उनकी वास्तविक शक्ति को समझ गये थे। अब उन्होंने जागीरदार
ग्यारहवीं शती के प्रारंभ में नरवर से आये कच्छवाहों (कछुओं) ने मत्स्य क्षेत्र के मीनों (मछलियों) से ढूंढाड़ प्रदेश छीनकर आम्बेर के प्रबल कच्छवाहा राज्य की स्थापना की थी।