1857 के सैनिक विद्रोह को अगस्त 1858 तक अंग्रेजों और राजपूताने के देशी राज्यों की सम्मिलित ताकत ने कुचल दिया। कर्नल स्लीमैन की वह भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई थी कि राजा लोग एक द
1857 के सैनिक विद्रोह के समय जोधपुर पर महाराजा तखतसिंह शासन कर रहा था। स्वर्गीय राजा मानसिंह की इच्छा के अनुसार तखतसिंह को अहमदनगर से लाकर जोधपुर का राजा बनाया गया था। वह
1857 की क्रांति के विफल हो जाने के बाद अंग्रजों ने भारत के प्रत्येक अंग पर कब्जा कसना आरंभ किया। देशी राज्यों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने के लिये गवर्नर जनरल के सीधे
गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस (ई.1786-1797) ने भारतीय युवकों को सार्वजनिक दायित्वों एवं प्रशासनिक अधिकारों वाली नौकरी से वंचित करने के लिये नियम बनाया कि 50 पौण्ड या उससे अधिक
उन्नीसवीं सदी में राजपूताने में समाधि लेने के प्रथा प्रचलित थी। समाधि लेने वाला व्यक्ति या तो गड्ढे में बैठकर मिट्टी के नीचे दब जाता था या फिर जल समाधि ले लेता था। अंग्रेज इसे मानव बलि के समान ही समझते थे। उन्होंने इस प्रथा पर रोक लगाने के लिये प्रयास आरंभ किये।
यह कहना एक पक्षीय होगा कि अंग्रेजों ने राजपूताना की रियासतों के आंतरिक प्रशासन में हस्तक्षेप करके रियासतों के आर्थिक, प्रशासनिक एवं सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने का ही काम किया। इसके विपरीत अनेक अंग्रेज अधिकारियों ने रियासती जनता के मध्य व्याप्त अमानवीय प्रथाओं को पहच