बीकानेर के महाराजा तथा जैसलमेर के महारावल में सुलह करवाने वाला सेठ जोरावरमल मूलतः जैसलमेर का ही रहने वाला ओसवाल बनिया था किंतु वह होलकर के इंदौर राज्य में जाकर व्यापा
ई.1828 में महाराणा भीमसिंह के पौत्र का बहुत कम आयु में निधन हो गया। उसके सदमें से मात्र 14 दिन बाद महाराणा भी चल बसा। उसके 17 रानियां थीं जिनसे उसे कई पुत्र हुए थे किंतु महाराण
राजमाता भटियानी की मृत्यु (ई.1833) के बाद जयपुर राज्य के प्रधानमंत्री झूथाराम की मुश्किलें और बढ़ गयीं। जोधपुर राज्य ने अंग्रेज अधिकारियों के समक्ष आरोप लगाया कि शेखावाटी
ई.1824 में कोटा राज्य के प्रतापी फौजदार झाला जालिमसिंह की मृत्यु हो गयी। उसका पुत्र झाला माधोसिंह पहले से ही कोटा राज्य का दीवान था। ई.1828 में महाराव किशोरसिंह की भी मृत्यु
ई.1808 में जसवंतसिंह डूंगरपुर राज्य का महारावल हुआ। वह एक अयोग्य शासक था। ई.1812 में खुदादाद नाम के एक पिण्डारी ने अपने आप को सिंध का शहजादा घोषित करके डूंगरपुर राज्य पर आक्र
1825 में सर जॉन स्टुअर्ट मिल ने इस बात की वकालात की कि देशी राज्यों को समाप्त कर दिया जाना चाहिये किंतु कम्पनी के पुराने प्रशासक इस बात से सहमति नहीं रखते थे। सर जॉन मैल्कम
1857 में राष्ट्रीय स्तर पर झांसी, अवध तथा दिल्ली आदि राज्यों के उन राजा, रानी, बादशाह तथा बेगमों ने अंग्रेजों से लोहा लिया जिनके राज्य अंग्रेजों ने समाप्त कर दिये थे। विद्र