अगस्त 1888 में कर्नल ट्रेवर तीन माह के लिये अवकाश पर गया। इस दौरान कर्नल के. जे. आई. मैकान्जी ने उसका कार्य भार संभाला। मैकान्जी, कानून का जानकार, योग्य तथा न्यायप्रिय अधिकारी था। उन दिनों में अजमेर का कमिश्नर, अजमेर पुलिस का इंस्पेक्टर जनरल भी होता था। मैकान्जी ने तमाम मुलजिमों को इसी आधार पर छोड़ दिया कि जब मैं ही चालान करने वाला हूँ तो अब मैं इनको सेशन जज की हैसियत से कैसे सजा दे सकता हूँ।
कार्यवाहक कमिश्नर
19 मार्च 1890 को कर्नल जी. एच. ट्रेवर को एजीजी एवं चीफ कमिश्नर (अजमेर-मेरवाड़ा) के पद पर पदोन्नत कर दिया। उसके बाद कैप्टेन ए. एफ. डे लैसा, 20 मार्च से 18 अप्रेल 1890 तक, कर्नल जॉन बिडूफ 15 अप्रेल 1890 से 3 जुलाई 1891 तक तथा मेजर डब्लू एच. सी. वायली 17 जुलाई 1891 से 1 दिसम्बर 1891 तक कमिश्नर (अजमेर-मेरवाड़ा) के पद पर रहे। 2 दिसम्बर 1891 से 13 अप्रेल 1892 तक पुनः कर्नल जॉन बिडूफ इस पद पर रहा।
ए. एच. टी. मार्टिण्डल
14 अप्रेल 1892 को ए. एच. टी. मार्टिण्डल कमिश्नर (अजमेर-मेरवाड़ा) के पद पर नियुक्त हुआ। उसके समय कैसरगंज के पास एक रेलवे ओवरब्रिज बनाया गया जो आज भी मार्टिण्डल ब्रिज के नाम से जाना जाता है। मार्टिण्डल सहृदय अधिकारी थी। 1 मार्च 1896 तक वह इस पद पर कार्य करता रहा।
असिस्टेण्ट कमिश्नर थॉरण्टन
मार्टिण्डल के अवकाश पर जाने पर 20 मार्च 1895 से 27 अक्टूबर 1895 तक अजमेर के असिस्टेण्ट कमिश्नर ए. पी. थॉरण्टन ने कमिश्नर (अजमेर-मेरवाड़ा) का कार्य भार संभाला। वह बहुत ही जागरूक तथा न्यायप्रिय अधिकारी था। उसकी एक बड़ी विशेषता यह थी कि जब तक अदालत में फैसला नहीं सुनाता था, तब तक किसी को भी नहीं दिखाता था।