लेखक ने इस पुस्तक के रूप में जालोर और समीपवर्ती प्रदेश का सर्वांगीण इतिवृत्त प्रस्तुत करने का प्रयास किया है... साहित्यक और पुरातात्विक साक्ष्यों का अच्छा उपयोग किया है। राजनीतिक इतिहास के विशृंखलित सूत्रों को जोड़ने के अलावा जालोर क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर-मूर्तिकला, स्थापत्य, लोक साहित्य, प्राचीन देवमंदिरों, मेलों तथा उत्सवों का जो वर्णन किया गया है, वह बहुत रोचक एवं सजीव बन पड़ा है। -पुस्तक समीक्षा, राजस्थान पत्रिका, जयपुर
डॉ. राघवेन्द्रसिंह मनोहर - जयपुर
मेरी दृष्टि में यह पुस्तक न केवल प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये अपितु समाज के हर उस पाठक के लिये उपयोगी है, जो राजस्थान के बारे में विस्तार से जानने की इच्छा रखता है।
नर्बदा इंदौरिया, सम्पादक, राजस्थान सुजस, - जयपुर
नागौर का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास निःसंदेह इतिहास जगत में न केवल चिह्नित होगी बल्कि नये दृष्टिकोण के साथ इतिहास लेखन की दिशा में अन्य लोगों का मार्ग प्रशस्त करेगी। श्री गुप्ता ने जिस नई दृष्टि, सूझबूझ एवं कठिन परिश्रम के साथ पुस्तक लेखन का कार्य किया है, वे वस्तुतः साधुवाद के पात्र हैं। पुस्तक की भूमिका में।